मिला दो श्याम से ऊधौ
मिला दो श्याम से ऊधौ तेरा गुन हम भी गायेंगे।
गोकुल को छोड़कर जब से गए वापिस नहीं आये।
खता क्या हो गई हमसे अरज अपनी सुनायेंगे।।
प्रीति पहले लगा करके विसारा नन्द-नन्दन ने
चरण में शीष धर- धर के हम उनको मनायेंगे।
फिर कभी आओ गोकुल में हमें दर्शन दिला देना।
वो ब्रम्हानन्द फिर दिल से न हम उनको भुलायेंगे।।
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