बिहारी तेरी नौकरी सबसे बढ़िया
बिहारी तेरी नौकरी सबसे बढ़िया है सबसे खरी,
भाग्य का जब ये गुल खिले, तब जाकर वृन्दावन मिले।
पूरण हो गई तपस्या मेरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
जबसे मैं तेरा हो गया, तबसे मेरा भी नाम हो गया।
वरना औकात क्या थी मेरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
बस लगे न गैर हाजिरी, सबसे बढ़िया है सबसे खरी।।
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