राधे गोविंदा भजो राधे गोविंदा
राधे गोविंदा भजो राधे गोविंदा।
मन में है बसी बस चाह यही।
नित नाम तुम्हारा उचारा करूं।।
भर में दृप पात्रों में प्रेम का जल।
पद पंकज नाथ पखारा करूं।।
बन प्रेम पुजारी तुम्हारा प्रभु।
नित आरती भव्य उतारा करूं।।
तेरे भक्तों की भक्ति करूं में सदा।
तेरे चाहने वालों को चाहा करूं।।
राधे गोविंदा भजो राधे गोविंदा।
राधे गोविंदा भजो वृन्दावन चंदा।।
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