नैनन में श्याम समाय गयो
नैनन में श्याम समाय गयो। मोहे प्रेम को रोग लगाये गयो।।
लुट जाऊगीं श्याम तेरी लटकन पे,
बिक जाऊगीं श्याम तेरी मटकन पे।
मोहे गेल गिराय भिगाय गयो।।
मोहे प्रेम को रोग लगाये गयो
मर जाऊगीं श्याम तेरे अधरन पे।
मिट जाऊगीं कन्हैया तेरे नैनन पे।
वो तो तिरछी नज़र चलायगौ, मोहे प्रेम......
हरिदास को प्यारो नंदलाला
दिवाने भये जो सब ग्वाला,
वो तो मंद-मंद मुस्काय गयो।। मोहे प्रेम.......
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