सन्तन के संग लाग रे
सन्तन के संग लाग रे तेरी अच्छी बनेगी।
अच्छी बनेगी, तेरी किस्मत जगेगी।
ध्रुव की बन गई, प्रहलाद की बन गई।
राम चरन अनुराग रे, तेरी अच्छी.........
कागा से तोहे हंसा कहिं
हरि सुमिरन में लाग रे, तेरी अच्छी......
मोह निशा में बहुत दिन सोया
जाग सके तो जाग रे, तेरी अच्छी......
कहत कबीर सुनो भाई साधु
राम भजन में लाग रे, तेरी अच्छी........
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